Saturday 20 August 2011

Sunderastakam सुन्दराष्टकम्

।। श्री हनुमते नम: ।।

श्री सुन्दराष्टकम्
रामायणं  सुन्दरं  सुन्दरकाण्डं सुन्दरं
पवन-तनय      चरितं    सुन्दरं
गीतं   सुन्दरम्    पीतं   सुन्दरम्
     सुन्दरािधपतेरिखलम्       सुन्दरम् … 1
(रामायण सुन्दर है उसमें सुन्दरकाण्ड अति सुन्दर है आैर सुन्दरकाण्ड में हनुमत चरित्र  अति सुन्दर है । सुन्दरकाण्ड का गान सुन्दर है तथा पान भी सुन्दर है । सुन्दरािधपति श्री हनुमानजी का सभी कुछ सुन्दर है ।)
ज्ञानं   सुन्दरं     कर्म सुन्दरं
भक्ति  सुन्दरा   शक्ति सुन्दरा
सूिक्त  सुन्दरा   युिक्त सुन्दरा
     सुन्दरािधपतेरिखलम्    सुन्दरम् … 2
(श्री हनुमानजी का ज्ञान सुन्दर है, कर्म आैर भक्ति भी सुन्दर है । सुन्दरकाण्ड में वर्णीत सुिक्त एवं श्री हनुमानजी कि युिक्त भी अति सुंदर है । सुन्दरािधपति श्री हनुमानजी का सभी कुछ सुन्दर है ।)
कथनं  सुन्दरं   मननं  सुन्दरं
गमनं  सुन्दरं   प्रहारं  सुन्दरं  
सत्संग: सुन्दर:  प्रवेश: सुन्दर:
     सुन्दरािधपतेरिखलम्   सुन्दरम् … 3
(श्री सुन्दरकाण्ड का कथन सुन्दर है । श्री हनुमानजी का मनन भी सुन्दर है । श्री हनुमानजी की गती भी सुन्दर है । लंका प्रस्थान के समय मार्ग में आने वाले िवघ्नों का साहस एवं धैर्य से मुकाबला करते हुए लंका में प्रवेश करना भी सुन्दर है। श्री हनुमानजी का प्रहार भी सुन्दर है ।
लंकिनी को एक ही मुिष्ठका का प्रहार किया आैर उसकी बुि़़द्ध पलट दी वह तुरन्त सत्संग की महीमा का बखान करने लगी, आपकी सत्संग का अंदाज भी सुन्दर है । सुन्दरािधपति श्री हनुमानजी का सभी कुछ सुन्दर है ।)
दृष्टं  सुन्दरं    िशष्टं  सुन्दरं
भाषणं सुन्दरं   कारूण्यं सुन्दरं
मंत्रणा सुन्दरा   यंत्रणा सुन्दरा
     सुन्दरािधपतेरिखलम्    सुन्दरम् … 4
(श्री हनुमानजी का िनरीक्षण सुन्दर है तथा िशष्टाचार भी सुन्दर है । िवभीषण भेंट के समय वर्णीत आपका भाषण एवं कारूण्य भी सुन्दर है । िवभीषणजी से की हुयी आपकी मंत्रणा भी सुन्दर है तथा आगे की हुयी आपकी यंत्रणा भी सुन्दर है । सुन्दरािधपति श्री हनुमानजी का सभी कुछ सुन्दर है ।)
धृति:  सुन्दरा   मति:   सुन्दरा
पौरूषं  सुन्दरं   शौर्यं  सुन्दरं
िवक्रम: सुन्दर:  प्रभाव: सुन्दर:
     सुन्दरािधपतेरिखलम्    सुन्दरम् … 5
(माता सीता के िमलन के समय श्री हनुमानजी का धैर्य भी सुन्दर है आैर उनकी दक्षता भी सुन्दर है । हे हनुमानजी! आपका पौरूष सुन्दर है, आपका शौर्य भी सुन्दर है । आपका पराक्रम एवं प्रभाव भी सुन्दर है िजससे प्रसन्न होकर आपको माताजी ने अमोघ आशीर्वाद भी िदया। सुन्दरािधपति श्री हनुमानजी का सभी कुछ सुन्दर है ।)
तेज:   सुन्दर:    प्रगल्भ: सुन्दर:
लीला  सुन्दरा     ज्वाला सुन्दरा
दहनं  सुन्दरं     िननादं  सुन्दरं
     सुन्दरािधपतेरिखलम्      सुन्दरम् … 6
(रावण से भेट के समय का आपका साहस सुन्दर है तथा उस समय का आपका प्रागल्भ्य (िन:संकोच अपनी बात कहना भी) सुन्दर है। आपकी पूंछ में आग लगाने पर आपने जो लीला की वह सुन्दर है तथा उसकी ज्वाला भी सुन्दर है। आपकी लंका दहन लीला भी सुन्दर है तथा आपकी गर्जना भी सुन्दर है । सुन्दरािधपति श्री हनुमानजी का सभी कुछ सुन्दर है ।)
िमलनं  सुन्दरं  सुयशं  सुन्दरं
िवनयं  सुन्दरं   वंदनं  सुन्दरं
शरणं  सुन्दरं  परिष्वंगम् सुन्दरं
     सुन्दरािधपतेरिखलम्     सुन्दरम् … 7
(लंका से लौटने पर आपका प्रभु राम से िमलन सुन्दर है । श्री राम के मुख से आपके सुयश का वर्णन सुनते समय आपका िवनय सुन्दर है । आपने प्रभु की शरण में वन्दन करते हुए अपने कार्य का श्रेय प्रभु को िदया वह भाव भी सुन्दर है । प्रभु ने कृतज्ञता से आपको प्रगाढ अािलंगन िदया वह भी सुन्दर है ।  सुन्दरािधपति श्री हनुमानजी का सभी कुछ सुन्दर है ।)
दाक्ष्यं  सुन्दरम्  दास्यं  सुन्दरम्
शीलं  सुन्दरम्  चातुर्यं  सुन्दरम्
दलनं  सुन्दरम्   फलनं सुन्दरम्
     सुन्दरािधपतेरिखलम्     सुन्दरम् … 8
(श्री हनुमानजी अापकी दक्षता सुन्दर है, तथा आपका दास्य भाव भी सुन्दर है । आपका शील आैर चािरत्र्य भी सुन्दर है । आपका चातुर्य भी सुन्दर है । आपने दुष्टोंका व दुष्ट वृित्तयों का दलन किया वह भी सुंदर है आैर उसका फल भी सुन्दर है। सुन्दरािधपति श्री हनुमानजी का सभी कुछ सुन्दर है ।)
अस्य श्री सुन्दराष्टक स्त्रोतस्य पठनं य: श्रद्धया, भक्त्या कराेित स वांिछत फलं प्राप्स्यती हनुमते आशीर्वादं एवं कृपा दृिष्ट प्राप्स्यती एव ।
हे हनुमानजी जो कोई भक्त इस सुन्दराष्टकम् का श्रद्धा, भक्ती आैर प्रेम से पठन, िचन्तन आैर मनन करेगा उस पर आपकी कृपा दृिष्ट सदैव बनी रहे यह दास भंवरलाल की नतमस्तक ह्रदय से िवनयपूर्वक प्रार्थना है ।
इति सकल कलिकलुष िवध्वंसने दास भंवरलाल िवरचितं श्री सुन्दराष्टकम् सम्पूर्णम्

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